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पानी  ll WATER  || PAANI ।। Rajan Keshri ||❝ पंक्तियां; कुछ मेरी कुछ तुम्हारी | ❞
डर सबको लगता हैं | |Everyone feels fear || Drr sbko lgta hae || Rajan Keshri ||❝ पंक्तियां; कुछ मेरी कुछ तुम्हारी | ❞
मेरा चाँद || My Moon || Mayra chand || Rajan Keshri ||❝ पंक्तियां; कुछ मेरी कुछ तुम्हारी | ❞

पानी ll WATER || PAANI ।। Rajan Keshri ||❝ पंक्तियां; कुछ मेरी कुछ तुम्हारी | ❞

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 ❝ पंक्तियां; कुछ मेरी कुछ तुम्हारी | ❞

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पानी 

पानी

पानी 


लोग अक्सर बारिश में भीग जाते हैं,

एक हम हैं जो आंखों में सागर समेट के बैठे हैं |

 

वो  हमसे जब समुद्र देखने की बात करते हैं,

हम कहते हैं हमारी दो आंखें देख लो |

 

जिनके नसीब में  डूबनेभर पानी नहीं मिलता,

वो अक्सर अपनी आंखों में डूब जाते हैं |

 

एक जेहन है जो जलता रहता है कभी बुझता नहीं

दो नैन है जो बरसते रहते हैं कभी  बुझाते नहीं |

 

हर कश्ती को किनारा नहीं मिलता,

और जो खुद की आंखों में डूबा हो,

 उसे किसीका  सहारा नहीं मिलता |


  इन पलकों की किस्मत देखो,

 कभी बिन बादल बरस जाते हैं,

 कभी दो बूंद को तरस जाते हैं


जो लड़ाएगा नैन हमसे उसे मजा खूब आएगा,

पानी को  तरसेगा,  और डूबता चला जाएगा |

 

कुछ लोगों की बातें इतनी गीली होती है,

कि  सुखी आंखों को भी भीगा देती है |


 पसीने की जलन पर कोई हिला पंखा तो दे । 

हम बताएं फिर बरसात क्या होती है कोई सर को कंधा तो दे ।


न डर, न दर्द, न दवा, कमजोरी कि इसे निशानी न कहो,

 आंखों से जो छलक रहा है वह मोती है,

 उसे नमकीन पानी न  कहो।

  

तुम हंसते क्यों हो इतना क्या कोई आश नही तरसने को ?

हम ये उन्हें कैसे बताएं की कोई कंधा नहीं बरसने को |


दिन, दोपहर, समय, कोई नजारा नहीं देखते,

 जिनकी आंखें भरी होती है वो डूबने को किनारा नहीं देखते ।


लोग गहराई नापते हैं  डूबने से पहले ।

दो  आंखें काफी है डूब जाने को ।


  जो बातें करते हैं चेहरे से, नैनो में न कभी समाते है ।

 कुछ गद्दार आजकल आंसुओं पर भी तैर जाते हैं ।


न कोंस इतना बरसात को एक दिन पानी को तू तरस जाएगा

एक बार जो यह बरस गया फिर न जाने सावन कब आएगा |

 

नालायक है वो  बादल जिसमें भरे उजाले होते हैं,

जो धरती को सीचदे, वो बादल, अक्सर काले होते हैं |


रुकना ना किसी के गाने पे, ना किसी के ताने  पे गर्जना हैं। आने वाला है हमारा मौसम हमें तो तभी बरसना है । 


दुनिया कहती है हमें “तुम बरसोगे नहीं कभी, बस गरजते जाओगे” |

डर तो हमें इस बात का है के

जिस दिन हम बरस गए ए दुनिया, तुम जमीन को तरस जाओगे |

राजन केसरी 

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 ❝ पंक्तियां; कुछ मेरी कुछ तुम्हारी | ❞

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डर सबको लगता हैं | |Everyone feels fear || Drr sbko lgta hae || Rajan Keshri ||❝ पंक्तियां; कुछ मेरी कुछ तुम्हारी | ❞

 

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 ❝ पंक्तियां; कुछ मेरी कुछ तुम्हारी | ❞

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डर सबको लगता हैं |

 

डर सबको लगता हैं

डर सबको लगता हैं

डर,

डर सबको लगता हैं |

बस फर्क इतना हैं,

कोई जीने से डरता हैं,

कोई मरने से |

 

डर,

डर सबको लगता हैं |

बस फर्क इतना हैं,

कोई कुछ कहने से डरता हैं,

कोई चुप रहने से|

 

डर,

डर सबको लगता हैं |

बस फर्क इतना हैं,

कोई वापस आने को डरता हैं,

कोई हमेशा के लिए चले जाने से  |

 

डर,

डर सबको लगता हैं |

बस फर्क इतना हैं,

कोई ज्यादा खाने से डरता हैं,

कोई भूखा रहने से  |


डर,

डर सबको लगता हैं |

बस फर्क इतना हैं,

कोई किसी को सुनने से डरता हैं,

कोई किसी को समझाने  से  |


डर,

डर सबको लगता हैं |

बस फर्क इतना हैं,

कोई अंधेरे से डरता हैं,

कोई उजाले से  |


  डर,

डर सबको लगता हैं |

बस फर्क इतना हैं,

कोई सच बताने से  डरता हैं,

कोई सच छुपाने  से  |


डर,

डर सबको लगता हैं |

बस फर्क इतना हैं,

कोई किसी के कुछ समझाने से  डरता हैं,

कोई किसी से कुछ पूछने  से  |

  

डर,

डर सबको लगता हैं |

बस फर्क इतना हैं,

कोई खुदको न पाने से डरता  हैं,

कोई खुद को खो देने से  |


डर,

डर सबको लगता हैं |

बस फर्क इतना हैं,

कोई इश्वर के न सुनने  से डरता हैं,

कोई इश्वर से  |


डर,

डर सबको लगता हैं |

बस फर्क इतना हैं,

कोई बेचैनी  से डरता हैं,

कोई सन्नाटे  से  |


डर,

डर सबको लगता हैं |

बस फर्क इतना हैं,

कोई किसी के टूटने   से डरता हैं,

कोई किसी के रूठने  से  | 


डर,

डर सबको लगता हैं |

बस फर्क इतना हैं,

कोई किसी को भूल  कर डरता हैं,

कोई किसी को याद करने  से  |


डर,

डर सबको लगता हैं |

बस फर्क इतना हैं,

कोई साथ रहने से डरता हैं,

कोई अकेले रहने  से  |

 

डर,

डर सबको लगता हैं |

बस फर्क इतना हैं,

कोई नाउम्मीदी  से डरता  हैं,

कोई नाकामयाबी से  |


डर,

डर सबको लगता हैं |

बस फर्क इतना हैं,

कोई रोने से डरता   हैं,

कोई हसने  से  |

 

डर,

डर सबको लगता हैं |

बस फर्क इतना हैं,

कोई गुलामी से डरता हैं,

कोई आजादी से  |

 

डर,

डर सबको लगता हैं |

बस फर्क इतना हैं,

कोई झूट से डरता  हैं,

कोई सच  से  |

  

डर,

डर सबको लगता हैं |

बस फर्क इतना हैं,

कोई पराये  से डरता हैं,

कोई अपनों  से  |

  

डर,

डर सबको लगता हैं |

बस फर्क इतना हैं,

कोई सपना टूटने से डरता  हैं,

कोई सपना देखने   से  |

 

डर,

डर सबको लगता हैं |

बस फर्क इतना हैं,

कोई काम करने से डरता हैं,

कोई बेरोज़गारी से  |

 

डर,

डर सबको लगता हैं |

बस फर्क इतना हैं,

कोई जानवरों से डरता  हैं,

कोई इन्सानो से  |

 

डर,

डर सबको लगता हैं |

बस फर्क इतना हैं,

कोई अपने दुख से डरता हैं,

कोई दुसरे के सुख से  |

 

डर,

डर सबको लगता हैं |

बस फर्क इतना हैं,

कोई किसी की नफरत से डरता  हैं,

कोई किसी की वफादारी  से  |

 

डर,

डर सबको लगता हैं |

बस फर्क इतना हैं,

कोई आगे बढ़ने से डरता हैं,

कोई  थम जाने  से  |

 

डर,

डर सबको लगता हैं |

बस फर्क इतना हैं,

कोई पढ़ने से डरता  हैं,

कोई  पढ़ाने वाले  से  |

 

डर,

डर सबको लगता हैं |

बस फर्क इतना हैं,

कोई  सरकार से डरता हैं,

कोई सरकारी नौकरों  से  |

 

डर,

डर सबको लगता हैं |

बस फर्क इतना हैं,

कोई बॉस से डरता हैं,

कोई बीबी से  |

 

डर,

डर सबको लगता हैं |

बस फर्क इतना हैं,

कोई  बुरे लोगो से डरता हैं,

कोई अच्छे लोगो से  |

  

डर,

डर सबको लगता हैं |

बस फर्क इतना हैं,

कोई पापियों से डरता हैं,

कोई पाप से  |

 

डर,

डर सबको लगता हैं |

बस फर्क इतना हैं,

कोई अत्याचार से डरता  हैं,

कोई बगावत से  |

 

डर,

डर सबको लगता हैं |

बस फर्क इतना हैं,

कोई किसी के दूर जाने से डरता हैं,

कोई किसी के पास आने  से  |

 

डर,

डर सबको लगता हैं |

बस फर्क इतना हैं,

कोई दुसरो को देख कर डरता हैं,

कोई खुद  से  |

 

डर,

डर सबको लगता हैं |

बस फर्क इतना हैं,

कोई घरवालो से डरता  हैं,

कोई  उनके आंसुओं   से  |

 

डर,

डर सबको लगता हैं |

बस फर्क इतना हैं,

कोई यार से डरता   हैं,

कोई किसी की यारी से  |

 

डर,

डर सबको लगता हैं |

बस फर्क इतना हैं,

कोई बेवकूफो से डरता  हैं,

कोई समझदारो से  |

 

डर,

डर सबको लगता हैं |

बस फर्क इतना हैं,

कोई मैफिल से डरता  हैं,

कोई तन्हाई से  |


डर,

डर सबको लगता हैं |

बस फर्क इतना हैं,

कोई सम्मान से  डरता  हैं,

कोई अपमान  से  |

 

  डर,

डर सबको लगता हैं |

बस फर्क इतना हैं,

कोई मरने पर दूत से  डरता हैं,

कोई  जीतेजी  भूत से  |


डर,

डर सबको लगता हैं |

बस फर्क इतना हैं,

कोई बीते हुए कल से  डरता हैं,

कोई आनेवाले कल  से  |


राजन केसरी 

 

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 ❝ पंक्तियां; कुछ मेरी कुछ तुम्हारी | ❞

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मेरा चाँद || My Moon || Mayra chand || Rajan Keshri ||❝ पंक्तियां; कुछ मेरी कुछ तुम्हारी | ❞

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मेरा चाँद

मेरा चाँद

मेरा चाँद 

आज लिख के हैं  तुझको बताना हुआ,

ये पथर दिल आज किसी-का दीवाना हुआ |


 
मुझसे मेरे  नजरो ने लगाई, एक  सिफारिश हैं,

तुझमे किसी को देखने की, उनकी  ख्वाइस हैं |


 
हाल सुनले हमारा, क्यों कर रहा बादलो  की नुमाइश हैं,

चाँद तुझसे बस इतनी सी  गुज़ारिश हैं |


 
बात पुराणी हैं मगर, आज जिक्र अख़बार हुआ,

भूल गया हूँ, कब चाँद का दीदार हुआ |


 
खुद कुछ कहता , मेरी सुनता ही नही ,

मेरा चाँद आजकल मुझे  मिलता ही नही |


 
खफ़ा हैं वो मुझसे , थोड़ा वो खता हैं,

बिन बुलाये आता था, आज भुला पता हैं |


 
पास हैं जमी पास अश्मा हैं,

मेरे चाँद में समाया मेरा  मुकम्मल जहां हैं |


 
 
सितारों से भरा असमान , चादर तान सोना सही,

जिस असमान में चाँद नही उसे छोड़देना सही |


 
चेहरे पर  दाग ही सही सीरत चमचमाती पाई हैं ,

मेरे चाँद ने अपनी एसी शख़्सियत बनाई हैं |


 
दहलीज़ पे आता, घर में समता हैं,

मेरा चाँद मुझसे झरोखे से ही बतियाता हैं |


 
चाँद दीखता, आसमान से हट जाती नजर हैं ,

कुछ ऐसा होता, चाँद का मुझपे असर हैं |


 
ऐसा क्या हैं तुझमे , क्यों तुझमे डूब जाता हूँ ,

तुझसे बातें करते-करते, जग को भूल जाता हूँ |


 
जब बादलों  में अक्सर चाँद, छुप जाता हैं,

ये समा जाने क्यों, रुक सा जाता हैं |


 
रूक गई हैं धरती, क्या इसमें  जा नही,

क्यों असमान में मेरे आज मेरा चाँद नही |


 
देखे तेरा नूर नजरो को एक जमाना हुआ,

चाँद तू मुझसे इतना क्यों बेगाना हुआ |


 
बादलो  की भूलभुलैया में, चाँद  से हाथ छुट गया,

कुछ इस तरह से, मेरा चाँद मुझसे रुठ गया |


 
चाँद ने खड़ी की आज बिच बदलो की दीवार हैं,

चाँद क्या यही तेरा मुझपे एतबार हैं |


 
मिलले मुझसे कर मेरे इरादों की आज़माइश,

चाँद बस इतनी सी हैं मेरी ख्वाइस |

राजन केसरी
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 ❝ पंक्तियां; कुछ मेरी कुछ तुम्हारी | ❞

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