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फैसला || Decision || Phaesla || Rajan Keshri ||❝ पंक्तियां; कुछ मेरी कुछ तुम्हारी | ❞
पानी  ll WATER  || PAANI ।। Rajan Keshri ||❝ पंक्तियां; कुछ मेरी कुछ तुम्हारी | ❞
घर पे  रहना है || Stay at home || Ghr pay rhna hae || Lockdown poem || Rajan Keshri || 2020

फैसला || Decision || Phaesla || Rajan Keshri ||❝ पंक्तियां; कुछ मेरी कुछ तुम्हारी | ❞

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 ❝ पंक्तियां; कुछ मेरी कुछ तुम्हारी | ❞

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फैसला 

Decision; promise



जिन्दगी बर्बाद करने का इरादा कर लिया |

जिन्दगी भर मन में रखने का किसीको, खुद से वादा कर लिया |

लफ्ज ने गमो को थोड़ा जादा कर दिया |

जब जिन्दगी भर इंतजार करने का किसी से वादा कर दिया |




राते जागने का गुजारा कर लिया |

जब सपने खुली आँखों से देखने का इरादा कर लिया |

अपने मन का सुकून आधा फिर आधा और आधा कर दिया |

जब हमने अपने सरतो  पे जीने का खुद से वादा  कर दिया |




सासों को सुनने का इरादा कर लिया |

सन्नाटे से साझेदारी का वादा कर लिया |

खुदको औरो से अलग कर लिया |

जब सबको सच बोलने का फैसला कर लिया |


अकेले रहने का इरादा कर लिया |

खुद को खुद तक रखने का  खुद से  वादा कर लिया |

बोलचाल कम करने का इरादा कर लिया |

जब खुद को  सुनने का इरादा कर लिया |


जख्मो को रोजाना खुरेदने का इरादा कर लिया |

जब बीती बाते याद रखने का खुद से वादा   कर लिया |

लंघन वालो के नाम लिखने का इरादा कर लिया |

उन्हे एक दिन बर्बाद करने का खुद से वादा कर लिया |

 

सिने को सिरहाने का सहारा कर दिया 

कूछ इस तरह से सोने का इरादा कर लिया |

भूक ने रसोई में हमे कुछ ऐसे मोर्ड दिया |

के रसोई से जिन्दगी भर का रिश्ता जोड़  दिया |


दुश्मनों के साथ ऐसा काम कर दिया |

जब मिले हमसे ,हमने हस कर सलाम कर दिया |

दोस्तों ने एसे बदनाम कर दिया |

जब उन्होंने लहू माँगा हमसे हमारा , हमने जान उनके नाम कर दिया |



मन की बाधाओ को किनारा कर दिया |

हमने अपनी जरुरतो को आधा और आधा कर दिया |

चंचल चित्त को स्थिर बसेरा कर दिया |

नई सोच का हमने सवेरा कर दिया |

राजन केसरी 

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 ❝ पंक्तियां; कुछ मेरी कुछ तुम्हारी | ❞

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पानी ll WATER || PAANI ।। Rajan Keshri ||❝ पंक्तियां; कुछ मेरी कुछ तुम्हारी | ❞

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 ❝ पंक्तियां; कुछ मेरी कुछ तुम्हारी | ❞

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पानी 

पानी

पानी 


लोग अक्सर बारिश में भीग जाते हैं,

एक हम हैं जो आंखों में सागर समेट के बैठे हैं |

 

वो  हमसे जब समुद्र देखने की बात करते हैं,

हम कहते हैं हमारी दो आंखें देख लो |

 

जिनके नसीब में  डूबनेभर पानी नहीं मिलता,

वो अक्सर अपनी आंखों में डूब जाते हैं |

 

एक जेहन है जो जलता रहता है कभी बुझता नहीं

दो नैन है जो बरसते रहते हैं कभी  बुझाते नहीं |

 

हर कश्ती को किनारा नहीं मिलता,

और जो खुद की आंखों में डूबा हो,

 उसे किसीका  सहारा नहीं मिलता |


  इन पलकों की किस्मत देखो,

 कभी बिन बादल बरस जाते हैं,

 कभी दो बूंद को तरस जाते हैं


जो लड़ाएगा नैन हमसे उसे मजा खूब आएगा,

पानी को  तरसेगा,  और डूबता चला जाएगा |

 

कुछ लोगों की बातें इतनी गीली होती है,

कि  सुखी आंखों को भी भीगा देती है |


 पसीने की जलन पर कोई हिला पंखा तो दे । 

हम बताएं फिर बरसात क्या होती है कोई सर को कंधा तो दे ।


न डर, न दर्द, न दवा, कमजोरी कि इसे निशानी न कहो,

 आंखों से जो छलक रहा है वह मोती है,

 उसे नमकीन पानी न  कहो।

  

तुम हंसते क्यों हो इतना क्या कोई आश नही तरसने को ?

हम ये उन्हें कैसे बताएं की कोई कंधा नहीं बरसने को |


दिन, दोपहर, समय, कोई नजारा नहीं देखते,

 जिनकी आंखें भरी होती है वो डूबने को किनारा नहीं देखते ।


लोग गहराई नापते हैं  डूबने से पहले ।

दो  आंखें काफी है डूब जाने को ।


  जो बातें करते हैं चेहरे से, नैनो में न कभी समाते है ।

 कुछ गद्दार आजकल आंसुओं पर भी तैर जाते हैं ।


न कोंस इतना बरसात को एक दिन पानी को तू तरस जाएगा

एक बार जो यह बरस गया फिर न जाने सावन कब आएगा |

 

नालायक है वो  बादल जिसमें भरे उजाले होते हैं,

जो धरती को सीचदे, वो बादल, अक्सर काले होते हैं |


रुकना ना किसी के गाने पे, ना किसी के ताने  पे गर्जना हैं। आने वाला है हमारा मौसम हमें तो तभी बरसना है । 


दुनिया कहती है हमें “तुम बरसोगे नहीं कभी, बस गरजते जाओगे” |

डर तो हमें इस बात का है के

जिस दिन हम बरस गए ए दुनिया, तुम जमीन को तरस जाओगे |

राजन केसरी 

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 ❝ पंक्तियां; कुछ मेरी कुछ तुम्हारी | ❞

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घर पे रहना है || Stay at home || Ghr pay rhna hae || Lockdown poem || Rajan Keshri || 2020


घर पे  रहना है 

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                                                                              Listen घर पे  रहना है  here ☝☝☝



ये हिन्द के  थल पर केसा शोर है

ले जा रहा मानव को किस ओर है

इस हंगामे को बस दूर से सहना है

                    हमे  तो आज  बस घर पे  रहना है

 

बरकत की राह लगी  पहरी की चौकी है

मिलने जुलने की रस्म लोगो ने रोकी  है

इस प्रतिबन्ध का पालन निष्ठा से करना है

हमे  तो आज  बस घर पे  रहना है

 

आज-कल घर की छत और कोने चार

आशाओ का बना आचार कर रही है अत्याचार,

दीवारों की बंदी को स्यम से  सहना है

हमे  तो आज  बस घर पे  रहना है

 

दुनिया भर मे बिछा आज  घनघोर सनाटा है

दुनिया भर का दुख दुनिया ने बाटा है

इस संधि का पालन सिस्ठा से करना है

हमे  तो आज  बस घर पे  रहना है


मजबूर है जन जन बेसुध  है मन मन

बंद है खंड खंड बाहर है दंड दंड

दंड न मिले इस अनुसास्न से  रहना है

हमे  तो आज  बस घर पे  रहना है

 

हिन्द सभ्यता अनेक रंगो की फुलकारी है

रंग बिरंगे धागों की बड़ी गहरी साझेदारी है

रंग बिरंगी धागों को बन्धुत्व से रहना है

हमे  तो आज  बस घर पे  रहना है

 

क्या करे कैसे करे बातो का सोच विचार

कब आता था इतवार कब आएगा अब सोमवार

आजादी के  सोमवार की आस मे रहना है

हमे  तो आज  बस घर पे  रहना है

 

आज गुसे मे पेट बोल उठा गडगड गडगड

रोज़ नाचते सर पर चन्ने समौसे पिज़्ज़ा बर्गर

दिमाग बोला चुप्प्चाप खाले बिना खाए क्या मरना हे

हमे  तो आज  बस घर पे  रहना है

 

 

सर्फ साबुन की खुसबू महका रही तन मन

खनक रहे रिश्ते नाते खनक रहे भांडे बर्तन

बर्तनों के  शोर को कूच दिन सहना है

हमे  तो आज  बस घर पे  रहना है

 

बिस्तर बोल उठा दबा तुम्हारे वजन के मरे

मालिक क्या आप जिंदा हो या परलोक सिधारे

बोला  मेने कूछ और दिन दुख सहना है

हमे  तो आज  बस घर पे  रहना है

 

उलफत हुई जिंदगी अब, दुआएं कर जिना है

 कुबूल होगी दुआ ये रमजान का महिना है

ज़िंदगी का  हलाहल अब सिवा  ने पीना है

हमे  तो आज  बस घर पे  रहना है

 

दूर है हम जरुर , कोशिश साथ करना है

दोहज़्त की दरिया को साथ पार करना है

लैहरो से लड़कर नईया को पार लगाना है

हमे  तो आज  बस घर पे  रहना है

 

                                                   राजन केसरी

घर पे  रहना है

About the poem /कविता के बारे में

The following topic was covered in this poem:-

1) Lockdown,

2)Lockdown Life

3)Lockdown diaries

4) Lockdown feelings

5) Relationships in lockdown

6)Home life in Lockdown

7)Family problem In lockdown

8)Hope

9) fear in lockdown

10)Religion

11)Indians Situatuation during lockdown