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❝ पंक्तियां; कुछ मेरी कुछ तुम्हारी | ❞
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डर सबको लगता हैं |
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डर सबको लगता हैं |
डर,
डर सबको लगता हैं |
बस फर्क इतना हैं,
कोई जीने से डरता हैं,
कोई मरने से |
डर,
डर सबको लगता हैं |
बस फर्क इतना हैं,
कोई कुछ कहने से डरता हैं,
कोई चुप रहने से|
डर,
डर सबको लगता हैं |
बस फर्क इतना हैं,
कोई वापस आने को डरता हैं,
कोई हमेशा के लिए चले जाने से |
डर,
डर सबको लगता हैं |
बस फर्क इतना हैं,
कोई ज्यादा खाने से डरता हैं,
कोई भूखा रहने से |
डर,
डर सबको लगता हैं |
बस फर्क इतना हैं,
कोई किसी को सुनने से डरता हैं,
कोई किसी को समझाने से |
डर,
डर सबको लगता हैं |
बस फर्क इतना हैं,
कोई अंधेरे से डरता हैं,
कोई उजाले से |
डर,
डर सबको लगता हैं |
बस फर्क इतना हैं,
कोई सच बताने से डरता हैं,
कोई सच छुपाने से |
डर,
डर सबको लगता हैं |
बस फर्क इतना हैं,
कोई किसी के कुछ समझाने से डरता हैं,
कोई किसी से कुछ पूछने से |
डर,
डर सबको लगता हैं |
बस फर्क इतना हैं,
कोई खुदको न पाने से डरता हैं,
कोई खुद को खो देने से |
डर,
डर सबको लगता हैं |
बस फर्क इतना हैं,
कोई इश्वर के न सुनने से डरता हैं,
कोई इश्वर से |
डर,
डर सबको लगता हैं |
बस फर्क इतना हैं,
कोई बेचैनी से डरता हैं,
कोई सन्नाटे से |
डर,
डर सबको लगता हैं |
बस फर्क इतना हैं,
कोई किसी के टूटने से डरता हैं,
कोई किसी के रूठने से |
डर,
डर सबको लगता हैं |
बस फर्क इतना हैं,
कोई किसी को भूल कर डरता हैं,
कोई किसी को याद करने से |
डर,
डर सबको लगता हैं |
बस फर्क इतना हैं,
कोई साथ रहने से डरता हैं,
कोई अकेले रहने से |
डर,
डर सबको लगता हैं |
बस फर्क इतना हैं,
कोई नाउम्मीदी से डरता हैं,
कोई नाकामयाबी से |
डर,
डर सबको लगता हैं |
बस फर्क इतना हैं,
कोई रोने से डरता हैं,
कोई हसने से |
डर,
डर सबको लगता हैं |
बस फर्क इतना हैं,
कोई गुलामी से डरता हैं,
कोई आजादी से |
डर,
डर सबको लगता हैं |
बस फर्क इतना हैं,
कोई झूट से डरता हैं,
कोई सच से |
डर,
डर सबको लगता हैं |
बस फर्क इतना हैं,
कोई पराये से डरता हैं,
कोई अपनों से |
डर,
डर सबको लगता हैं |
बस फर्क इतना हैं,
कोई सपना टूटने से डरता हैं,
कोई सपना देखने से |
डर,
डर सबको लगता हैं |
बस फर्क इतना हैं,
कोई काम करने से डरता हैं,
कोई बेरोज़गारी से |
डर,
डर सबको लगता हैं |
बस फर्क इतना हैं,
कोई जानवरों से डरता हैं,
कोई इन्सानो से |
डर,
डर सबको लगता हैं |
बस फर्क इतना हैं,
कोई अपने दुख से डरता हैं,
कोई दुसरे के सुख से |
डर,
डर सबको लगता हैं |
बस फर्क इतना हैं,
कोई किसी की नफरत से डरता हैं,
कोई किसी की वफादारी से |
डर,
डर सबको लगता हैं |
बस फर्क इतना हैं,
कोई आगे बढ़ने से डरता हैं,
कोई थम जाने से |
डर,
डर सबको लगता हैं |
बस फर्क इतना हैं,
कोई पढ़ने से डरता हैं,
कोई पढ़ाने वाले से |
डर,
डर सबको लगता हैं |
बस फर्क इतना हैं,
कोई सरकार से डरता हैं,
कोई सरकारी नौकरों से |
डर,
डर सबको लगता हैं |
बस फर्क इतना हैं,
कोई बॉस से डरता हैं,
कोई बीबी से |
डर,
डर सबको लगता हैं |
बस फर्क इतना हैं,
कोई बुरे लोगो से डरता हैं,
कोई अच्छे लोगो से |
डर,
डर सबको लगता हैं |
बस फर्क इतना हैं,
कोई पापियों से डरता हैं,
कोई पाप से |
डर,
डर सबको लगता हैं |
बस फर्क इतना हैं,
कोई अत्याचार से डरता हैं,
कोई बगावत से |
डर,
डर सबको लगता हैं |
बस फर्क इतना हैं,
कोई किसी के दूर जाने से डरता हैं,
कोई किसी के पास आने से |
डर,
डर सबको लगता हैं |
बस फर्क इतना हैं,
कोई दुसरो को देख कर डरता हैं,
कोई खुद से |
डर,
डर सबको लगता हैं |
बस फर्क इतना हैं,
कोई घरवालो से डरता हैं,
कोई उनके आंसुओं से |
डर,
डर सबको लगता हैं |
बस फर्क इतना हैं,
कोई यार से डरता हैं,
कोई किसी की यारी से |
डर,
डर सबको लगता हैं |
बस फर्क इतना हैं,
कोई बेवकूफो से डरता हैं,
कोई समझदारो से |
डर,
डर सबको लगता हैं |
बस फर्क इतना हैं,
कोई मैफिल से डरता हैं,
कोई तन्हाई से |
डर,
डर सबको लगता हैं |
बस फर्क इतना हैं,
कोई सम्मान से डरता हैं,
कोई अपमान से |
डर,
डर सबको लगता हैं |
बस फर्क इतना हैं,
कोई मरने पर दूत से डरता हैं,
कोई जीतेजी भूत से |
डर,
डर सबको लगता हैं |
बस फर्क इतना हैं,
कोई बीते हुए कल से डरता हैं,
कोई आनेवाले कल से |
राजन केसरी
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2 टिप्पणियाँ
Beautiful...
जवाब देंहटाएंKio muskurane se darta ha,
Kio usme chupe dard ke bhar ahne se...
Dar sabko lgta hai.
Kio harne se darta hai,
Kio apna sab haar ke v jeetne se ....
👍 thanks 😊
हटाएंThank you for your visit. Please post your suggestions. If you have any.