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वक्त वक्त की बात है || Time and time again || Waqt Waqt ki baat hae || Rajan Keshri ||❝ पंक्तियां; कुछ मेरी कुछ तुम्हारी | ❞ || ❝Panktiya; Kuch mayri kuch tumhari❞.
अजीब आँखें || Weird eyes || AJIB ANKHAY || Rajan Keshri ||❝ पंक्तियां; कुछ मेरी कुछ तुम्हारी | ❞ || ❝Panktiya; Kuch mayri kuch tumhari❞.
फैसला || Decision || Phaesla || Rajan Keshri ||❝ पंक्तियां; कुछ मेरी कुछ तुम्हारी | ❞

वक्त वक्त की बात है || Time and time again || Waqt Waqt ki baat hae || Rajan Keshri ||❝ पंक्तियां; कुछ मेरी कुछ तुम्हारी | ❞ || ❝Panktiya; Kuch mayri kuch tumhari❞.

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 ❝ पंक्तियां; कुछ मेरी कुछ तुम्हारी | ❞

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वक्त वक्त की बात है

❝ पंक्तियां; कुछ मेरी कुछ तुम्हारी l ❞=वक्त वक्त की बात है,

 

वक्त वक्त की बात है,

कल जो साथ घूमते थे,

आज समय पर वह देखकर, 

दूर से ही घूम जाते हैं |

 

वक्त वक्त की बात है,

कल जो हमारे पीछे गाना गाते फिरते थे,

आज वह हमारे  आगे ताना देते फिरते |

 

वक्त वक्त की बात है,

कल जो हमें छोड़ जाने की बात पर घबराते थे,

वह आज हमें छोड़ कर मुस्कुराते हैं |

 

वक्त वक्त की बात है,

कल जो हमारे हमदर्द बने फिरते थे,

वो आज हमे, सुनने से घबराते हैं |

 

वक्त वक्त की बात है,

कल जो हमें अपना जिगरी यार कहते थे,

आजकल वह पीठ पीछे वार करते हैं |

 

वक्त वक्त की बात है,

कल जो  घंटो बातें करा करते थे,

वो आज  फोन नहीं उठाते है |

 

वक्त वक्त की बात है,

कल जो हमारी छोटी-छोटी चीजें याद रखते थे,

आज  वह हमें ही भूल जाते हैं |

 

वक्त वक्त की बात है,

कल जो हमारी एक छीक पर सहम जाते थे,

आज वह हमारे दर्द सुनकर सो जाते हैं |

 

वक्त वक्त की बात है,

कल जो बिना याद किए मिल जाते थे,

आज वह खोजने पर भी नहीं मिलते |

 

वक्त वक्त की बात है,

कल जो हमारी तरक्की पर फूले न समाते थे,

आज वह हमारी कामयाबी से जले फिरते हैं |

 

वक्त वक्त की बात है,

जिस्म-जिस्म नहीं सामान लगता है,

कल जो जिंदादिल हुआ करता था,

आज बेजान लगता है |

 

वक्त वक्त की बात है,

कल जो मेहनत से मिलती थी,

आज वह सरेआम हो गई है,

तरक्की आज दुकान का सामान हो गई है |

 

वक्त वक्त की बात है,

जुबान थोड़ी भारी हो गई है,

कल की बड़बोली आज बेजुबान हो गई है |

 

वक्त वक्त की बात है,

आज बंदूक से डरता कहां है कोई,

लोग तो लोगों की बातों से डर जाते हैं |

 

वक्त वक्त की बात है,

हथियार से मरता कहां है कोई

लोग तो आजकल तानों से मर जाते हैं |

राजन केसरी 


❝ पंक्तियां; कुछ मेरी कुछ तुम्हारी | ❞ -वक्त वक्त की बात है
वक्त वक्त की बात है

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 ❝ पंक्तियां; कुछ मेरी कुछ तुम्हारी | ❞

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अजीब आँखें || Weird eyes || AJIB ANKHAY || Rajan Keshri ||❝ पंक्तियां; कुछ मेरी कुछ तुम्हारी | ❞ || ❝Panktiya; Kuch mayri kuch tumhari❞.

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 ❝ पंक्तियां; कुछ मेरी कुछ तुम्हारी | ❞

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अजीब आँखें

Weird eyes

अजीब आँखें


ये आँखें भी बड़ी अजीब होती हैं !

कभी ये हृदय को धीर दे |

कभी कटार सी चिर दे |

 

ये आँखें भी बड़ी अजीब होती हैं !

कभी ये किसी को आग दे |

कभी ये सिने में  छरा दाग दे |

 

ये आँखें भी बड़ी अजीब होती हैं !

कभी जख्मो से जल जाती हैं |

कभी दर्द में पिंगल जाती हैं |

 

ये आँखें भी बड़ी अजीब होती हैं !

कभी रातभर  सूरज की आश में रहती हैं |

कभी दिनभर चाँद की प्यास में रहती हैं |

 

ये आँखें भी बड़ी अजीब होती हैं !

कभी किसी कि याद में तरस जाती हैं |

कभी किसी कि याद में बरस जाती हैं |

 

ये आँखें भी बड़ी अजीब होती हैं !

कभी किसी को देख कर भभक जाती हैं |

कभी किसी को देख कर चमक जाती हैं |

 

ये आँखें भी बड़ी अजीब होती हैं !

कभी बिना कहे सब कुछ बता देती हैं |

कभी लाख पूछने पर भी सब कुछ छुपा लेती हैं |

 

ये आँखें भी बड़ी अजीब होती हैं !

कभी ये  रोशनी में  देख नही पाती हैं |

कभी ये अंधेरे में सदियां देख लेती हैं |

 

ये आँखें भी बड़ी अजीब होती हैं !

कभी इनकी बूंदे  जान लेती हैं |

कभी ये तुफानो को बांध लेती हैं |

 

ये आँखें भी बड़ी अजीब होती हैं !

कभी किताबों को छान लेती हैं |

कभी एक खत में जिया थाम लेती हैं |

 

ये आँखें भी बड़ी अजीब होती हैं !

कभी कोरे कागज को देख मचल जाती हैं |

कभी रंगों को देख कर खिल जाती हैं |

 

ये आँखें भी बड़ी अजीब होती हैं !

कभी ये किसी से  डर जाती हैं |

 कभी किसी को डरा देती हैं |


ये आँखें भी बड़ी अजीब होती हैं !

कभी फड़फड़ाती फिरती हैं |

कभी किसी पे थम जाती हैं |

 

ये आँखें भी बड़ी अजीब होती हैं !

कभी काफी कुछ कह जाती हैं |

कभी काफी कुछ सह जाती हैं |

 

ये आँखें भी बड़ी अजीब होती हैं !

कभी किसी को दग़ा देती हैं |

कभी किसी से दिल लगा देती हैं |

 

ये आँखें भी बड़ी अजीब होती हैं !

कभी किसी बेढंगे हो सवार देती हैं |

कभी किसी शाहसी को एक झपक पे मार देती हैं |

 

ये आँखें भी बड़ी अजीब होती हैं !

कभी किसी कुवारे  को आशिक बना देती हैं |

कभी किसी अजनबी को आवारा बना देती हैं |

 

ये आँखें भी बड़ी अजीब होती हैं !

कभी ये किसी नासूर का वैद बन लेती हैं |

कभी ये किसी बेचारे को कैद कर लेती हैं |

 

ये आँखें भी बड़ी अजीब होती हैं !

कभी कोई इनमे समाने को पछताता हैं |

कभी शायद ही कोई इनकी कैद से निकल पाता हैं |

 

ये आँखें भी बड़ी अजीब होती हैं !

कभी इनसे किसी को देख लेते हैं |

कभी ख्वाबो से इनको सेक लेते हैं |

 

ये आँखें भी बड़ी अजीब होती हैं !

कभी ये लड़ कर बीमार होते हैं |

कभी ये लड़ कर दो से चार होते हैं |

 

ये आँखें भी बड़ी अजीब होती हैं !

कभी गुस्से में ये लाल पीले होते हैं |

कभी हस-हस कर ये गिले होते हैं |

 

ये आँखें भी बड़ी अजीब होती हैं !

कभी नींद से ढीले होते हैं |

कभी बंदा गिरा दे ये इतने नशीले होते हैं |

 

ये आँखें भी बड़ी अजीब होती हैं !

कभी  रात को ये चादर ओढ़ लेते हैं |

कभी हंसते- हंसते ये दुनिया छोड़ देते हैं |

 

 राजन केसरी 

 

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 ❝ पंक्तियां; कुछ मेरी कुछ तुम्हारी | ❞

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फैसला || Decision || Phaesla || Rajan Keshri ||❝ पंक्तियां; कुछ मेरी कुछ तुम्हारी | ❞

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 ❝ पंक्तियां; कुछ मेरी कुछ तुम्हारी | ❞

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फैसला 

Decision; promise



जिन्दगी बर्बाद करने का इरादा कर लिया |

जिन्दगी भर मन में रखने का किसीको, खुद से वादा कर लिया |

लफ्ज ने गमो को थोड़ा जादा कर दिया |

जब जिन्दगी भर इंतजार करने का किसी से वादा कर दिया |




राते जागने का गुजारा कर लिया |

जब सपने खुली आँखों से देखने का इरादा कर लिया |

अपने मन का सुकून आधा फिर आधा और आधा कर दिया |

जब हमने अपने सरतो  पे जीने का खुद से वादा  कर दिया |




सासों को सुनने का इरादा कर लिया |

सन्नाटे से साझेदारी का वादा कर लिया |

खुदको औरो से अलग कर लिया |

जब सबको सच बोलने का फैसला कर लिया |


अकेले रहने का इरादा कर लिया |

खुद को खुद तक रखने का  खुद से  वादा कर लिया |

बोलचाल कम करने का इरादा कर लिया |

जब खुद को  सुनने का इरादा कर लिया |


जख्मो को रोजाना खुरेदने का इरादा कर लिया |

जब बीती बाते याद रखने का खुद से वादा   कर लिया |

लंघन वालो के नाम लिखने का इरादा कर लिया |

उन्हे एक दिन बर्बाद करने का खुद से वादा कर लिया |

 

सिने को सिरहाने का सहारा कर दिया 

कूछ इस तरह से सोने का इरादा कर लिया |

भूक ने रसोई में हमे कुछ ऐसे मोर्ड दिया |

के रसोई से जिन्दगी भर का रिश्ता जोड़  दिया |


दुश्मनों के साथ ऐसा काम कर दिया |

जब मिले हमसे ,हमने हस कर सलाम कर दिया |

दोस्तों ने एसे बदनाम कर दिया |

जब उन्होंने लहू माँगा हमसे हमारा , हमने जान उनके नाम कर दिया |



मन की बाधाओ को किनारा कर दिया |

हमने अपनी जरुरतो को आधा और आधा कर दिया |

चंचल चित्त को स्थिर बसेरा कर दिया |

नई सोच का हमने सवेरा कर दिया |

राजन केसरी 

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 ❝ पंक्तियां; कुछ मेरी कुछ तुम्हारी | ❞

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